गुरुवार को देश की सर्वोच्च अदालत में देश में मंदिर-मस्जिद विवादों पर सुनवाई हुई, जिस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि निचली अदालतें ऐसे मामलों में सर्वे और उससे संबधित कोई आदेश न दें।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सबजीव खन्ना की 3 सदस्यीय पीठ, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की कुछ धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। एक्ट के खिलाफ CPI-M, इंडियन मुस्लिम लीग, NCP शरद पवार, राजद एमपी मनोज कुमार झा समेत 6 पार्टियों ने याचिका लगाई है।
तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, “हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं। ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें।”
सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा- हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। तभी अदालत को बताया गया कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से 10 मस्जिदों से जुड़े हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिकाओं पर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा- जब तक केंद्र जवाब नहीं दाखिल करता है हम सुनवाई नहीं कर सकते। हमारे अगले आदेश तक ऐसा कोई नया केस दाखिल न किया जाए।