जालौन में सोमवार को उरई के दयानन्द वैदिक महाविद्यालय के बगिया परिसर स्थित बीएड हॉल में हिंदी, अंग्रेजी एवं शिक्षक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय ज्ञान परंपरा और साहित्य विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रोफेसर पवन अग्रवाल मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। जिन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति, लोक कल्याण की भावना में समाहित है, जो की आदिकाल से अब तक चली आ रही है।
भारतीय संस्कृति हिंसा से अहिंसा असहिष्णुता से सहिष्णुता, ईर्षा से समरसता एवं सौहार्द की भावना का संदेश देती है । कार्यक्रम में मौजूद वक्ता लखनऊ केंद्रीय विश्वविद्यालय, के प्रवक्ता डॉ बलजीत श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
महाविद्यालय की IQAC कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर अलका रानी पुरवार ने विषय प्रवर्तन करते हुए अंग्रेजी साहित्य में भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रभाव एवं महत्व पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राजेश चंद्र पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सनातन संस्कृति को भारतीय संस्कृति की मुख्य संवाहक बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल भाव करुणा है, जो न केवल मनुष्यों अपितु जीव – जंतुओं एवं प्रकृति के प्रति भी सहृदयता की भावना का पोषण करती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों का आभार महाविद्यालय की NAAC संयोजिका प्रो. शैलजा गुप्ता जी के द्वारा एवं कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर नीरज कुमार द्विवेदी जी के द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. रामप्रताप सिंह, डॉ राजेश पालीवाल, डॉ विजेंद्र कुमार , डॉ जितेंद्र प्रताप, डॉ अतुल बुधौलिया, डॉ शीलू सेंगर, डॉ नीता गुप्ता डॉ सुरेंद्र मोहन यादव एवं हिंदी अंग्रेजी एवं शिक्षा शिक्षा विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।