जालौन में 6 साल पहले जमीन के विवाद में देवर ने अपनी विधवा भाभी की सिर कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी थी, इस मामले में मंगलवार को जालौन के न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम शिवकुमार द्वारा साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हत्या का मामला न मानकर न्यायाधीश ने आईपीसी की धारा 304 का दोषी मानते हुए देवर को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई, साथ ही 25 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है, जुर्माना अदा न करने पर 1 वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता मोतीलाल पाल ने बताया कि 27 फरवरी 2018 को रामशंकर पुत्र रामस्वरूप निवासी ग्राम रसूलपुर भलार थाना देवराहट जिला रमाबाईनगर (कानपुर देहात) कदौरा थाना पुलिस को सूचना दी थी कि उसने अपनी पुत्री गुड्डो देवी की शादी कदौरा थाना क्षेत्र के ग्राम मदरा लालपुर के रहने वाले इंद्रपाल पुत्र बालाजी से 6 साल पहले की थी, इस दौरान उसकी बेटी ने एक बेटी को जन्म दिया था, शादी के 2 साल बाद उसके दामाद इंद्रपाल की मृत्यु हो गई और वह विधवा हो गई थी।
दामाद की मृत्यु होने के बाद बिटिया ससुराल में रहकर ही मजदूरी करके अपना भरण पोषण कर रही थी, लेकिन उससे गुजारा नहीं हो रहा था, जिस कारण वह अपनी बेटी को खर्चा दे रहा था, उसके ससुर द्वारा कोई भी खर्चा नहीं दिया जा रहा था, जबकि बेटी के हिस्से में ससुर के पास मौजूद 10 बीघा जमीन में हिस्सा था, बेटी ने ससुर से अपने हिस्से की जमीन की मांग की थी और वह 27 फरवरी 2018 को दोपहर बेटी की ससुराल पहुंचा था, जब उसकी बेटी ससुर बालाजी से अपने हिस्से की जमीन मांग रही थी, तो ससुर-देवर नाराज हो गए थे, जिस पर उसकी बेटी गुड्डो कमरे में चली गई थी, जब वह कमरे में गई तभी लगभग 2 बजे पीछे से देवरा शिशुपाल गया और उसने पत्थर की सिलौटा से उसके सिर पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई, शोर सुनकर वह पीछे से पहुंचा, जहां शिशुपाल पत्थर से बेटी के सिर पर हमला कर रहा था, खून ज्यादा निकल जाने के कारण उसकी बेटी की मौत हो गई थी।
इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) का मामला पंजीकृत करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी, 6 वर्ष बाद विस्तृत पत्रावली का अवलोकन करके साक्ष्य व सबूत के आधार पर न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) शिवकुमार द्वारा आईपीसी की धारा 302 को न मानकर गैर इरादतन हत्या मानते हुए आईपीसी की धारा 304 में शिशुपाल को 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 25 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है, इतना ही नहीं अर्थ दंड न जमा करने पर 1 वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा। वही अभियुक्त द्वारा जेल में बिताई गई अवधि का समायोजन इस सजा में किया जाएगा।