पूरे देश में भारत रत्न पूर्व पीएम पंडित अटल बिहारी बाजपेई के जनशताब्दी वर्ष पर सुशासन सप्ताह मनाया जा रहा है, इसके अंतर्गत उरई के राजकीय मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में वाटर समिट का आयोजन किया गया, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की अपर सचिव/मिशन निदेशक अर्चना वर्मा मौजूद रही, जिन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले बुंदेलखंड को फूलन देवी पान सिंह तोमर के नाम से जाना जाता था और लोग खौफ में जीते थे, मगर अब इस बुंदेलखंड को जल योद्धा, जल सहेली के नाम से जाना जाता है, इसीलिए आज यह क्षेत्र सूखे की जगह हरा भरा हो गया है, अब हमको वाटर को बचाना है, जिससे आने वाले समय में किसी को पानी की समस्या न हो, इस दौरान पूरे जनपद में एक साथ 7.5 लाख लोगों को एक साथ शपथ दिलाई गई।
उरई के राजकीय मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित वाटर समिट में बोलते हुए मिशन निदेशक अर्चना वर्मा ने कहा कि वह जब छोटी थी तो कहा जाता था सो जाओ नहीं तो बुंदेलखंड से कोई डकैती आ जाएगा, लेकिन आज इसकी इमेज अलग है, बुंदेलखंड के बारे में बात करते हैं, तो बहुत सारे जल योद्धाओं की होती है, यहां की जल सहेली की बात करते है, यहां के पद्मश्री उमाशंकर पांडेय की बात होती है, आज सभी ने बुंदेलखंड के बारे में सोच को लेकर बदल दिया। आजकल जल सहेलियों का नाम इतना ज्यादा है कि हमें जब भी खोजना पड़ता है कि किसे अच्छे काम के लिए अवार्ड दे। आज पंचायत के प्रधान ने जल के प्रबंधन के लिए काम किया, गांव के प्रधानों का भी समझे बहुत बड़ा सहयोग रहा है और मुझे बहुत खुशी है आज जालौन के डीएम राजेश पांडेय ने वह कर दिखाया है, जो मैंने कहीं नहीं देखा था, आज एक साथ किसान, प्रधान, बच्चे, जल सहेली और उद्यमियों को पहली देख रही हूं। भारत में यह पहली बार हो रहा है क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि जल संचय बिना जन भागीदारी संभव नहीं है। यह सिर्फ सरकार का काम नहीं, समाज का भी उतना सब योगदान है। उन्होंने कहा कि पहले पंजाब और हरियाणा में पानी 10 मीटर पर मिलता था, लेकिन अब 100 मीटर पर भी नहीं मिलता, इसलिए इसका बचाव जरूरी है। वहीं उन्होंने कहा कि पूरे जिले में एक साथ 7.5 लाख लोगों को शपथ दिलाई गई, साथ ही जिले की 1474 स्कूलों, ग्राम पंचायत, आंगनबाड़ी केंद्रों, माध्यमिक स्कूलों में वाटर हार्वेस्टिंग का काम सीएसआर, कन्वर्जेंस के माध्यम तेजी से काम कराया जा रहा है।
वही उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रबंध निदेशक राजशेखर ने कहा कि आज जितने भी ऑडिटोरियम में बैठे हुए है आज वह एक इतिहास रचने जा रहे हैं और वह भी इस इतिहास का एक हिस्सा बनने जा रहे हैं, क्योंकि इतना बड़ा अभियान और इतनी एक महत्वपूर्ण विषय पर 10 साल पहले ही हम लोगों को कार्यक्रम करना चाहिए था, लेकिन हम अब कर रहे हैं, लेकिन जब भी हम जागरूक हो जाए वह अच्छा है और वह एक जागरूकता को हम हर स्तर पर ले जाएं, पानी जीवन को चला रहा है।
उन्होंने कहा कि जालौन की धरती पर आज इस तरह का एक आयोजन किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि चाहे वह राज्य सरकार हो, चाहे भारत सरकार हो, कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन जन भागीदारी जन सहयोग के बिना कोई भी बड़ी योजना सफल नहीं हो सकेगा, उसका असली मकसद तभी हासिल कर पाएंगे जब प्रत्येक व्यक्ति उसे अभियान के साथ जुड़े, उन्होंने कहा कि वर्षों से राज्य सरकार और केंद्र सरकार करते आ रहे हैं, लेकिन यह तभी सफल माना जाएगा, जब ग्राउंड लेवल पर जबकि प्रत्येक व्यक्ति जो पानी का इस्तेमाल करता हो, उसे रिस्टोर करे। उन्होंने कहा एक प्रधानमंत्री जी द्वारा कार्यक्रम को लॉन्च करने के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री जी के एक नेतृत्व में इसको एक बहुत बड़ा अभियान के रूप में प्रत्येक स्तर पर लिया गया है, साल भर में इसका परिणाम देखने को न मिले, लेकिन 5 साल से 10 साल और 20 साल में आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ जरूर मिलेगा।
वही मंडलायुक्त झांसी विमल कुमार दुबे ने भी अपने संबोधन में जल संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया। इस अवसर पर जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने इस अवसर पर जिले में किए गए जल संचयन कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद में जल संचयन के लिए कई प्रभावी कार्य किए गए हैं। जनपद में कुल 385 चैकडेमों का निर्माण किया गया है, जिसमें 56 चैकडेमों में डिस्टिंग का कार्य और 26 चैकडेमों में मरम्मत कार्य की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, 410 अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया, जबकि 165 और अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जल संरक्षण के लिए अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में जनपद के 135 राजकीय भवनों जैसे विद्यालयों, पंचायत भवनों, तहसील, कलेक्ट्रेट और विकास भवनों पर रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण किया गया।
इसके अलावा, 3886 हैंडपंपों पर सॉकपिट का निर्माण किया गया है। जनपद में जल संरक्षण और नदी के तटीय क्षेत्रों में भी काम किया गया है। यमुना नदी के दाएं तट पर वेदव्यास मंदिर और कालपी घाट में 1.150 किलोमीटर रिवेटमेंट का निर्माण किया गया, जिससे एक हजार से अधिक भूमि कटान रहित उपजाऊ भूमि में परिवर्तित हो गई। जल संरक्षण के इस प्रयास में वन विभाग ने भी योगदान दिया है, जिसमें एक करोड़ पेड़ लगाए गए हैं, और 99 प्रतिशत पेड़ जीवित हैं। इसके अतिरिक्त, जल पुनर्भरण के लिए 7 ग्रे वॉटर मैनेजमेंट इकाइयां बनाई गई हैं, और कुओं का पुनरुद्धार भी किया गया है। इन प्रयासों से जनपद में जल संकट की स्थिति में सुधार होगा।
जिलाधिकारी ने जल संरक्षण के उपायों के बारे में भी बताया। उन्होंने खेतों की मेड़बंदी, नदियों और धाराओं में चेक डेम का निर्माण, कृषि तालाबों का निर्माण और सफाई, टांकों और जलाशयों का निर्माण, वृक्षारोपण, सिंचाई टैंकों का निर्माण, नहर नेटवर्क में सुधार, पानी के रिसाव को रोकने के लिए पाइपलाइन नेटवर्क में सुधार, और रूफ टॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहन देने की बात की। उन्होंने भूमिगत जल के पुनर्भरण, घरों में जल निकासी के स्थान पर सॉकपिट गड्ढों का निर्माण, वर्षा जल संरक्षण हेतु स्टोरेज टैंक का निर्माण, और कृषि एवं बागवानी के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को उपयोग में लाये जा रहे है। नल में टोंटी का प्रयोग करने और आरओ के व्यर्थ पानी का रसोई और बागवानी में उपयोग करने की भी बात की गई।
जल संरक्षण की आवश्यकता को समझाने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिकारियों ने जल संकट से निपटने के लिए सभी से मिलकर काम करने की अपील की और जल संचयन को एक साझा जिम्मेदारी के रूप में देखा। इस अवसर पर सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और आम जनता ने मिलकर जल संचयन के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया। इस दौरान कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे हैं पदमश्री उमाशंकर पांडेय ने भी अपने विचार रखे, वही उरई विधायक गौरी शंकर वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ घनश्याम अनुरागी, एमएलसी रमा निरंजन ने भी अपने विचार रखे।