जालौन में दहेज हत्या के एक बेहद संवेदनशील मामले में विशेष एससी/एसटी कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने महिला की हत्या के आरोप में पति, सास और ससुर को दोषी पाते हुए प्रत्येक को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास और 15-15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह मामला कुठौंद थाना क्षेत्र के ग्राम इगहपुरवा का है। यहां की निवासी मनीषा की शादी रूप सिंह पुत्र श्याम सिंह के साथ हुई थी। आरोप है कि शादी के बाद से ही मनीषा को दहेज की मांग को लेकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। 21 अक्टूबर 2022 को उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। मायके पक्ष ने आरोप लगाया कि मनीषा की गला दबाकर हत्या की गई और बाद में उसे फांसी पर लटकाकर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई।
मनीषा के पिता जयनारायण निवासी ग्राम जगनेवा, कोतवाली जालौन ने इस घटना को लेकर पति रूप सिंह, ससुर श्याम सिंह और सास पुष्पा देवी के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा आईपीसी की धारा 498ए, 304बी, 302, 34 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 के तहत दर्ज किया गया।
मामले की जांच सीओ जालौन के नेतृत्व में की गई, जिन्होंने मृतका द्वारा पहले थाने में की गई प्रताड़ना की शिकायतों, गवाहों के बयान और अन्य प्रमाणों के आधार पर पुख्ता साक्ष्य तैयार किए। इसी आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया।
इस केस की प्रभावशाली पैरवी शासकीय अधिवक्ता बृजराज राजपूत ने की। उन्होंने बताया कि मृतका द्वारा पूर्व में दी गई शिकायतें ही सजा का मुख्य आधार बनीं। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता (एडीजे/एससी-एसटी एक्ट कोर्ट, उरई) की अदालत में हुई।
पुलिस टीम, अभियोजन पक्ष और कोर्ट पैरोकारों के संयुक्त प्रयासों से शुक्रवार, 6 जून 2025 को न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई। यह फैसला महिला सशक्तिकरण और न्याय की दिशा में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।