जालौन में 20 साल पहले डकैत मंगली केवट ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक युवक का उरई से अपहरण कर लिया था, साथ ही उससे फिरौती की मांग की गई थी, इस मामले में जालौन के स्पेशल डकैती कोर्ट के न्यायाधीश ने दोष सिद्ध होने पर डकैत मंगली केवट और उसके तीन अन्य साथियों को सजा सुनाई है, जिसमें डकैत मंगली केवट को आजीवन कारावास, साथ ही उसके तीन अन्य साथियों को सात-सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, वहीं मंगली केवट पर 50 हजार रुपए और तीन अन्य लोगों पर 20-20 हजार का जुर्माना लगाया है। वही कोर्ट ने वारंट जारी करते हुए सभी को जेल भेज दिया।
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता हृदेश पांडेय ने बताया कि वर्ष 2004 में उरई कोतवाली से युवक शिवकुमार का अपहरण किया गया था, साथ ही उसके परिजनों से फिरौती की मांग की जा रही थी, जिस पर पुलिस ने उरई कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत किया था, बाद में आटा पुलिस की डकैतों से मुठभेड़ हुई थी, जिसमें अपहृत हुए शिव कुमार को आटा पुलिस ने मुक्त कर लिया था, जिसके बाद थाने में डकैतों की चुंगल से छूटे शिवकुमार ने पुलिस को जानकारी दी कि साढ़े 4 माह पहले बबलू श्रीवास्तव निवासी राजेंद्र नगर शराब ठेका के पास गोधन चमार निवासी मोहल्ला राजेंद्र नगर, सोनालिका ट्रैक्टर एजेंसी के पास, महेश ढीमर निवासी मोहल्ला राजेंद्र नगर प्रकाश भवन के पीछे तथा राकेश शर्मा निवासी मोहल्ला राजेंद्र नगर हाथी मंदिर के पास थाना कोतवाली उरई ने मुझे शराब पिलाई और जब वहां नशे में हो गया, तब मोतीलाल विजवाहा ने षडयंत्र रचकर यह कहकर सुपुर्द कर दिया कि उनके साथ चले जाओ, यह तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे, इसके बाद मोतीलाल मुझे उरई में गांव बांधकर ले गया और डकैत मंगली केवट गैंग को सुपुर्द कर दिया। इसके बाद डकैत मंगली केवट ने और उसके सदस्यों ने यातनाएं दी और फिरौती के लिए 1 लाख रुपए की मांग करते रहे। परिजनों के पास 1 लाख रुपए नहीं होने के कारण उसे छोड़ा नहीं और आटा पुलिस ने डकैतों से मुठभेड़ करते हुए उसे छुड़ाया।
इस मामले में 24 नवंबर 2004 को अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई, जिसमें विवेचना के दौरान गोधन, राकेश उर्फ रामकेश एवं मोतीलाल केवट के विरुद्ध आईपीसी की धारा 364 ए के तहत आरोप पत्र प्रेषित किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा 28 जनवरी 2005 को संज्ञान लिया, साथ ही अभियुक्त राम मूरत, मालती, मंगली केवट तथा पप्पू और रामाधार के विरुद्ध भी 364ए आईपीसी के तहत आरोप पत्र प्रेषित किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा 16 सितंबर 2005 को संज्ञान लिया गया।
पिछले 19 साल से यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था, सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई थी, जिसमें गोधन, राकेश उर्फ रामकेश तथा मोतीलाल को धारा 365 आईपीसी तथा आईपीसी की धारा 364 ए के तहत डकैत मंगली केवट को भी दोषी पाया गया था, जबकि इस मामले में राम मूरत, मालती केवट एवं पप्पू और रामाधार को आईपीसी की धारा 364 एक के तहत दोष मुक्त किया गया।
इस मामले में मंगलवार को डकैत मंगली केवट, गोधन, राकेश उर्फ रामकेश तथा मोतीलाल को सजा सुनाई गई। स्पेशल डकैती कोर्ट के न्यायाधीश डॉ अवनीश कुमार ने मंगली केवट को आईपीसी की धारा 364 के तहत आजीवन कारावास तथा 50 हजार का जुर्माना साथ ही गोधन, राकेश उर्फ रामकेश तथा मोतीलाल को 7-7 साल की कारावास की सजा और 20-20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।