नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र हंगामेदार होता जा रहा है। सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष के तीखे विरोध और नारेबाजी की भेंट चढ़ चुकी है। प्रमुख मुद्दों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘बिहार वोटर वेरिफिकेशन’ शामिल हैं, जिन पर विपक्ष लगातार सरकार से जवाब मांग रहा है।
अब सरकार ने इन विवादों के बीच बड़ा फैसला लिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में 28 जुलाई और राज्यसभा में 29 जुलाई को चर्चा कराई जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों सदनों में इस अहम मुद्दे पर 16-16 घंटे का समय बहस के लिए तय किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि इन तारीखों को विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिलेगी।
इसी मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “सरकार कहती है ऑपरेशन सिंदूर चालू है, जबकि अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 25 बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया। ट्रम्प कौन होते हैं ये कहने वाले? ये उनका काम नहीं है। लेकिन हैरानी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज तक इस पर एक शब्द नहीं कहा। इससे साफ है कि दाल में कुछ काला है।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद सदन में माहौल और गर्मा गया। इसके पहले दिन भर बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले पर भी संसद में भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्षी सांसद काले कपड़े लहराते हुए वेल में पहुंच गए और सरकार विरोधी नारेबाजी की। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने नाराज़गी जताते हुए कहा, “आप सड़क का व्यवहार संसद में न करें।”
लगातार तीसरे दिन भी हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही आधे घंटे भी नहीं चल सकी, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा को गुरुवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
अब सभी की निगाहें 28 और 29 जुलाई पर हैं, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर खुलकर चर्चा होगी। यह बहस भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और राजनीतिक पारदर्शिता के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।
