जालौन जिले के कोंच तहसील के ग्राम भेंपता में रामस्वरूप त्रिपाठी की मां परीक्षित श्रीमती रामप्यारी द्वारा कराई जा रही श्री मद भगवत कथा के चौथे दिन बाल कृष्ण भगवान के जन्मोत्सव पर पूरा पंडाल झूम उठा। बहुत सुंदर झांकी के साथ बाल कृष्ण भगवान को पंडाल तक लाया गया। कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे। भगवान श्रीकृष्ण की वेश भूषा में नन्हें बालक के दर्शन करने के लिए लोग लालायित नजर आ रहे थे, भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी पर महिलाएं भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप बच्चे को लेकर नाचती और झूमती रही।
इस अवसर पर वृंदावन धाम के भगवताचार्य पं. नीरज कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा कि जब धरती पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई, चारों ओर अत्याचार, अनाचार का साम्राज्य फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में जन्म लिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास नीरज कृष्ण शास्त्री महाराज ने बताया कि कंस की कारागार में वासुदेव-देवकी के भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।
उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया। इस दौरान कथा व्यास द्वारा भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में विस्तार से भक्तों को रसपान कराया।
इस दौरान त्रिपाठी परिवार के शालिग्राम, भगवत प्रसाद, रामस्वरूप, आशाराम, रामकुमार, शीलकुमार, विनोद, सतीश, हरीबाबू, अरुण, संदीप, सचिन, हिमांशु, अनुज, हर्षित, मौजूद रहे।