जालौन में 7 साल पहले के मां ने अपने बेटे के साथ मिलकर एक बाबा की सिर कुचलकर बेरहमी से हत्या कर दी थी, साथ ही उसके शव को कुएं में फेंक दिया था। इस मामले में जालौन के न्यायालय एडीजे पॉक्सो के न्यायाधीश ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हत्या करने वाले युवक को 30 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही अलग-अलग धाराओं में 12 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में फरवरी माह में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ने युवक की मां क्रांति देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता बृजराज सिंह राजपूत और विश्वजीत सिंह गुर्जर ने संयुक्त रूप से अवगत कराते हुए बताया कि आटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बम्हौरी कला में 5 नवंबर 2016 को उरई कोतवाली के इंदिरा नगर के रहने वाले अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा को आटा थाना क्षेत्र के बमोरी कला गांव की रहने वाली क्रांति देवी उर्फ और ऐर वाली तथा उसका नाबालिक पुत्र जितेंद्र कुमार घर से यह कहकर ले गया है कि उसकी लड़कियां रेखा और रबी की पंचायत निपटानी है, मगर उसके बाद अमृतलाल घर वापस नहीं लौटा, जिस पर परिजनों ने उसकी खोजबीन की, लेकिन अमृतपाल का कहीं पता नहीं चल सका, इसके बाद 18 जनवरी 2017 को अमृतलाल के लड़के देवर्षि के मोबाइल पर फोन आया कि उसके पिता जिसको बाबा कहते हैं, उसका शव मोर्चरी में रखा है, जिस पर अमृतलाल की पत्नी सत्तो देवी और उसका पुत्र परिवार के साथ मोर्चरी पहुंचे थे, जहां कपड़ो तथा कलवा आदि से अमृतलाल की पहचान हुई थी।
इसके बाद अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा की पत्नी सत्तो देवी ने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया था कि मेरे पति बाबा की क्रांति, उसके बेटे जितेंद्र तथा लड़कियों ने मिलकर हत्या कर दी है, हत्या को छुपाने के उद्देश्य से शव को बम्होरी और चमारी ग्राम के बीच में स्थित कुएं में फेंक दिया था। प्रार्थना पत्र में यह भी बताया था की क्रांति उर्फ ऐर वाली ने उसके पति पर गलत आरोप लगाया था कि उसकी लड़की के साथ बाबा ने बलात्कार किया है, मगर मामला रुपए के लेनदेन का था, इस षड्यंत्र के तहत उसके पति की हत्या की गई थी, इस शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच की, जिसमें हत्या की पुष्टि हुई थी।
जिस पर पुलिस ने क्रांति देवी और उसके बेटे जितेंद्र राजपूत के गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, साथ ही पुलिस ने दोनों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए थे, इस मामले में क्रांति देवी को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायाधीश अचल लवानिया एचजेएस ने सुनवाई पूरी होने के बाद 19 फरवरी 2024 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, मगर जितेंद्र राजपूत नाबालिक पाया गया था, जिस पर जितेंद्र राजपूत के अधिवक्ता ने किशोर घोषित करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन इस मामले में गुरुवार को जालौन के न्यायालय एडीजे पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद कमर एडीजे द्वारा सुनवाई की गई, जिसमें दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अमृत पाल उर्फ ढोंगी बाबा की हत्या के आरोप साबित होने और जितेंद्र राजपूत के बालिग होने पर साक्ष्य और गवाहों के आधार पार जितेंद्र राजपूत को 30 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई, साथ ही धारा 201 में 2 वर्ष और अलग-अलग धाराओं में 12 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। दोनों सजाएं एक साथ चलेगी।