जालौन के कोंच तहसील के ग्राम भेंपता में चल रही श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक पंडित नीरज कृष्ण शास्त्री ने कृष्ण-सुदामा की मित्रता का महत्वपूर्ण प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि सच्ची मित्रता में धन-दौलत का कोई स्थान नहीं होता।
कथा में बताया गया कि जब गरीबी से जूझ रहे सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे, तो कृष्ण ने उन्हें देखते ही राजसिंहासन से उठकर गले लगा लिया। कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र को उलाहना दिया कि वह इतने समय तक क्यों नहीं आए, लेकिन सुदामा ने मित्रता की गरिमा बनाए रखते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा।
कथावाचक ने समझाया कि सुदामा चरित्र से हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि निस्वार्थ समर्पण ही सच्ची मित्रता का आधार है। मित्र वह है जो कठिन समय में साथ खड़ा हो, गलतियों पर टोके और सही राह दिखाए।
कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष और भगवान सुखदेव की विदाई का भी वर्णन किया गया। श्रद्धालुओं ने भजनों पर नृत्य किया और बड़ी संख्या में लोगों ने कथा श्रवण किया। कथावाचक पंडित नीरज कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा से मन और आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम में झांसी-प्रयागराज से आए विधायक बाबूलाल तिवारी सहित त्रिपाठी परिवार के शालिग्राम, भगवत प्रसाद, रामस्वरूप, आशाराम, रामकुमार, शीलकुमार, विनोद, सतीश, हरीबाबू, अरुण, संदीप, सचिन, हिमांशु, अनुज, हर्षित, सिब्बू सहित कई सदस्य उपस्थित रहे।