शादी महिला और पुरुष के बीच का पवित्र बंधन है, इस पवित्र रिश्तों को दो परिवारों द्वारा बनाया जाता है, मगर छोटी छोटी बातों पर यह पवित्र रिश्ता टूटने लगता है। लेकिन जालौन का पुलिस परिवार परामर्श उन दंपत्ति के बीच पुनः विवाह स्थापित कराने का प्रयास कर रहा है, जो मामूली बात पर एक दूसरे से अलग रहने लगे थे। ऐसा ही सोमवार को परिवार परामर्श केंद्र द्वारा कराया गया, जहां 10 दंपत्ति के बीच समझौता कराया गया, जो मामूली बात पर कई माह से अलग रह रहे थे।
जालौन के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर दुर्गेश कुमार की इस पहल को सही अंजाम पुलिस परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी पूनम यादव, उनके सहयोगी महिला कांस्टेबल प्रियंका तथा महिला कांस्टेबल उर्मिला द्वारा किया जा रहा है। जो प्रत्येक सोमवार को परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले मसलों को सुनती है और टूटे रिश्तों में सुधार लाने का प्रयास कर रही है।
बता दे कि कोतवाली और थानों में रोजाना पति-पत्नी से जुड़े विवाद पहुंच रहे है। इन्ही विवादों को सुलझाने और टूट रहे रिश्तों को जोड़ने का काम परिवार परामर्श केंद्र द्वारा किया जा रहा है अक्सर नए दंपत्ति जोड़ों के बीच वैवाहिक जीवन में लड़ाई-झगड़ा इस कदर बढ़ गया है कि वह विवाद पहले पुलिस और फिर बाद में कोर्ट अदालतों तक पहुंच जाता है, ज्यादातर मामलों में पति-पत्नी के बीच एक दूसरे से अनबन और मनमुटाव होता है और इसी का खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है। गुस्से में महिला पति सहित पूरे ससुराल पक्ष पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराती है और इसकी सजा निर्दोषों को भी मिलती है, लेकिन पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के माध्यम से इसे सुलझाया जा रहा है।
प्रत्येक सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बने परिवार परामर्श केंद्र में इसकी सुनवाई होती है, मगर सोमवार को जन्माष्टमी के अवकाश होने के कारण बुधवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बने परिवार परामर्श केंद्र में 10 दंपत्ति के बीच समझौते कराकर उनके घर को बिखरने से बचाया गया।
इस बीच पुलिस महिला परिवार परामर्श केन्द्र द्वारा वैचारिक मतभेद की वजह से टूटने वाले परिवार के विवादों को निरन्तर सुना जा रहा है, इन विवादों में महिला पुलिस अधिकारी व अन्य नामित सदस्यों द्वारा पति-पत्नी एवं अन्य परिजनो के मध्य उपजे विवाद में उनकी काउंसलिगं की गयी।
जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों द्वारा भविष्य में आपस में लड़ाई-झगड़ा न करने तथा परिवारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए खुशी-खुशी साथ रहने की बात कही गयी। आपसी सुलह होने पर दम्पत्ति जोड़ों को एक दूसरे के साथ आपस में सामंजस्य स्थापित कर परिवारिक दायित्यों को सही प्रकार से निर्वहन करने हेतु सलाह दी गयी।