जालौन में 14 साल पहले जेवरात मांगने पर एक व्यक्ति को जहर देकर जान से मारने की कोशिश की थी। मामले में शुक्रवार को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम द्वारा साक्ष्य और गवाहों के आधार पर घटना कारित करने वाले को IPC की धारा 328 का दोषी मानते हुए 7 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही न्यायालय ने 50 हजार का जुर्माना लगाया है, सजा सुनाई जाने के बाद पुलिस ने दोषी को हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया, जबकि अन्य नामदर्ज आरोपियों के खिलाफ सबूत न मिलने पर दोष मुक्त कर दिया।
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता री मोतीलाल पाल ने बताया कि उरई कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बघौरा की रहने वाली सुषमा देवी ने पुलिस को बताया था कि मार्च 2009 में उसकी तबियत खराब हो गई थी, रूपये की जरूरत पड़ने पर उसके पति अखिलेश कुमार पुत्र बद्री प्रसाद निवासी रामनगर झांसी रोड हाल निवासी बघौरा द्वारा लगभग पौने दो किलो चांदी के जेवर मेवा उर्फ मेवालाल व सुनील के पास गिरवी रखे थे।
इलाज के बाद उसके पति अखिलेश ने पूरे रूपये ब्याज सहित देकर उक्त लोगों से अपने जेवर मांगे तो उन्होंने जेवर देने से मना करते हुए जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद उसने बिरादरी और रिश्तेदारों के बीच पंचायत लगाई, इससे नाराज होकर उक्त लोगों ने उसके पति के साथ मारपीट की। 15 अक्टूबर 2010 को वह अपने दोनों पुत्र आकाश और अविनाश को लेकर बैरागढ़ देवी मंदिर दर्शन करने गई थी, शाम को जब वह वापस लौटी तो उसके घर के बाहर को कुंडी लगी थी। जब उसने अंदर जा देखा तो उसके पति अखिलेश अचेत अवस्था में जमीन पर पड़े थे और उनके मुंह से झाग आ रहा था, जब पति को अस्पताल ले गई तो वह बोल नहीं पा रहे थे।
उन्होंने मेरी हथेली पर मेवा उर्फ मेवालाल, बंटे, रवि, रामू, सुनील, अजय कुमार के नाम लिखे थे। पुलिस को शिकायत देते हुए महिला ने बताया था कि उसके पति को उक्त लोगों ने शराब में जहरीला पदार्थ मिलाकर पिलाकर हत्या करने का प्रयास किया, जिस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर छह लोगों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
14 वर्ष चले ट्रायल के बाद सबूतों के आधार पर शुक्रवार को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम शिवकुमार ने मेवा उर्फ मेवालाल साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई साथ ही और पचास हजार रूपये अर्थदंड लगाया, वही इस मामले में शेष आरोपी बंटे, रवि, रामू, सुनील, अजय कुमार को साक्ष्यों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है।