जालौन में नाबालिक को अगवा करने के मामले में एक युवक को दोषी पाते हुए न्यायालय एडीजे पोक्सो एक्ट के न्यायाधीश ने 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही इसमें सहयोग करने पर युवक की मां को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है, दोनों पर न्यायालय ने 40 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है।
जालौन पुलिस के अनुसार माधौगढ़ थाने में 2017 में एक व्यक्ति ने मुकदमा पंजीकृत कराया था, जिसमें नाबालिग के पिता ने बताया था कि गोहन थाने के ग्राम सरावन के रहने वाले रामलला पुत्र वीर सिंह, उसकी मां मालती तथा यासीन उर्फ बल्ली पुत्र अहमद मंसूरी उसकी पुत्री को बहला फुसलाकर भगा ले गए, जिस पर पुलिस ने धारा 363, 366, 368, आईपीसी तथा 3/4 पोक्सो एक्ट में मुकदमा पंजीकृत करते हुए, इस मामले में किशोरी को बरामद करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, वही न्यायालय के समक्ष किशोरी के बयान दर्ज कराए थे।
न्यायालय में किशोरी ने रामलला तथा यासीन उर्फ बल्ली पर दुष्कर्म करने तथा मालती पर सहयोग करने का आरोप लगाते हुए बयान दर्ज कराए थे, जिस पर पुलिस ने 376(2) (i) 376 D की धारा बढ़ाई थी जिसकी पुलिस द्वारा विवेचना की गई और न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए गए, लगभग 7 साल तक चली सुनवाई के बाद इस मामले में मंगलवार को न्यायालय एडीजी पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर अपना फैसला सुनाया।
न्यायालय ने रामलला और उसकी मां को दोषी मानते हुए सजा सुनाई, जिसमें न्यायालय ने रामलला को आईपीसी की धारा 366 व 4 पोक्सो एक्ट का दोषी पाते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास तथा 35 हजार रुपए का जुर्माना, तथा उसकी मां मालती को आईपीसी की धारा 368 का दोषी पाते हुए 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।