जालौन के कोंच नगर में संचालित जेपीएस हॉस्पिटल को प्रशासन ने बुधवार को सीज कर दिया है। यह कार्रवाई 5 दिन पहले एक गर्भवती महिला और उसके पेट में पल रहे मासूम बच्चे की मौत के बाद की गई है। कार्रवाई कोंच एसडीएम ज्योति सिंह और एसीएमओ अरविंद भूषण के नेतृत्व में की गई। इस दौरान ओपीडी से लेकर डॉक्टर के कमरे को सील किया गया है, साथ ही इस अस्पताल का संचालन करने वाले को भी नोटिस दिया गया है।
बता दे कि कोंच कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गोरा करनपुर के रहने वाले मंगल सिंह की 30 वर्षीय पत्नी सुमन गर्भवती थी और उसे 23 अगस्त को प्रसव पीड़ा के कारण कोंच नगर के उरई रोड स्थित जेपीएस अस्पताल में भर्ती कराया था। इस दौरान जेपीएस अस्पताल में तैनात डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने नॉर्मल डिलीवरी की बात कहते हुए उसको भर्ती कर लिया, इसी दौरान उसकी हालत बिगड़ गई, जिसके बाद अस्पताल स्टाफ द्वारा तत्काल उसे रेफर कर दिया था, जिस कारण उसने रास्ते में दम तोड़ दिया था, इतना ही नहीं उसके पेट में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई थी।
इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एसडीएम कोंच और पुलिस से शिकायत की थी। जिसका संज्ञान लेने के बाद उप जिलाधिकारी कोंच ज्योति सिंह, कोंच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर अनिल कुमार शाक्य के साथ कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार राय और राजस्व अधिकारी जांच करने मंगलवार को जेपीएस अस्पताल पहुंचे, जहां पर डॉक्टर जितेंद्र सिंह के साथ-साथ पूरा स्टाफ गायब मिला। इस दौरान अस्पताल के दस्तावेज भी गायब मिले। इतना ही नहीं अस्पताल में संचालित हो रहे मेडिकल स्टोर पर कोई भी कर्मचारी नहीं मिला। उप जिलाधिकारी ज्योति सिंह ने इस संबंध मे उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई थी।
जिसके बाद बुधवार को जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय के निर्देश पर जालौन के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरविंद भूषण के नेतृत्व में मेडिकल टीम पहुंची। जहां एसडीएम ज्योति सिंह के साथ तहसीलदार वीरेंद्र कुमार गुप्ता, कोतवाल अरुण कुमार राय की मौजूदगी में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरविंद भूषण ने जेपीएस हॉस्पिटल को सील कर दिया है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरविंद भूषण ने बताया कि इस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन डॉक्टर अच्छे यादव के नाम से मेडिकल क्लीनिक के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसमें पीड़ित द्वारा इस अस्पताल की शिकायत की गई थी, जिसके बाद टीम गठित करते हुए इस अस्पताल को आज सील किया गया है। उन्होंने बताया कि जब भी मरीज को डिप चढ़ाई जाती है, तो हॉस्पिटल में डॉक्टर का होना अनिवार्य है, उसी की निगरानी में मरीज का इलाज किया जाता है, मगर डॉक्टर की गैर मौजूदगी में यह काम किया गया।
उन्होंने बताया कि 23 अगस्त को मरीज को भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ी तो उसे पीएल कमला हॉस्पिटल उरई के लिए रेफर किया गया, जिसके बाद उसे झांसी रेफर किया गया, इस दौरान उसकी मौत हो गई थी, साथ ही पेट में पल रहे बच्चे की भी मौत हुई थी। इसके बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जांच के दौरान कई अव्यवस्था मिली हैं। जिस पर यह कार्रवाई की गई है, जब एसीएमओ से पूछा कि हॉस्पिटल जेपीएस के नाम से संचालित हो रहा था, तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है।