जालौन के उरई जिला कारागार में 14 साल पहले बंदियों के बीच वर्चस्व को लेकर गैंगवार हुआ था। जिसमें बुधवार की फैसला आया था और जिला जज ने जेलर सहित 14 लोगों को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि 8 को दोषी माना था। इन 8 दोषियों को जिला जज ने जेलर और जेल के कर्मचारियों पर जानलेवा हमले का दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई, साथ ही प्रत्येक दोषी पर 48-48 हजार का जुर्माना लगाया है।
गुरुवार को जिला जज द्वारा दिए गए फैसले के बाद जालौन के जिला शासकीय अधिवक्ता लखन लाल निरंजन और शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र सिंह भदौरिया ने संयुक्त रूप से बताया कि 20 मार्च 2010 को जिला कारागार उरई में बंदियों के बीच गैंगवार हुआ था, जिसमें मुख्तार गैंग के सदस्य प्रिंस अहमद और जालौन के चुर्खी थाने के ग्राम औंता के रहने वाले नजीर की हत्या हो गई थी, जबकि कई बंदी घटना में घायल हुए थे, इस मामले में जेलर नत्थू सिंह और मृतक बंदी नाजिर के पिता की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें 14 साल बाद बुधवार की फैसला आया था, इसमें जेलर नत्थू सिंह सहित 14 लोगों को दोषी मानते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि जेल पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमले के 8 बंदियों को दोषी साबित होने पर जिला न्यायाधीश लल्लू सिंह ने गुरुवार को सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता लखन लाल निरंजन व मोतीलाल पाल ने बताया कि जेलर नत्थू सिंह मार्च 2010 में जिला कारागार उरई में तैनात थे, उन्होने आरोप गया था कि 28 मार्च 2010 को जेल के अंदर बंद अनिरुद्ध, राजू ठाकुर, राजू, गुन्नू, आशीष तिवारी, रिंकू सिंह, दीपू, शाहिद काली, मोहमद इरफान था दूसरे पक्ष के सुघर सिंह, सत्यभान, राजा भैया, राजू, अखिलेश, मुन्ना केवट, रामनारायण उक्त बंदियों के बीत लगाई झगड़ा हुआ, जिसमे दोनों पक्षों के बंदियों के बीच में किसी बंदी ने हथगोला से धमाका कर दिया था, जिससे जेल में अफरातफरी का माहौल बन गया, उसी समय जेल में बंद बंदी प्रिंस अहमद और नाजिर की मौत हो गई थी। शोर शराबा सुनकर मौके पर जेल के पुलिस कर्मी पहुंचे थे, जिन्होंने सभी बंदियों को समझाया था, मगर आठ बंदियों ने पुलिस के साथ मारपीट कर घायल कर दिया था।
इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू की थीं, जिसमें आठ बंदियों अनिरुद्ध, राजू ठाकुर, राजू गुन्नू, आशीष तिवारी, रिंकू सिंह, दीपू, शहीद काला ,मोहम्मद इरफान के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी, बुधवार को जिला सत्र न्यायालय के जिला जज लल्लू सिंह ने इन्हे साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दोषी माना था, गुरुवार को इस मामले में फैसला सुनाया गया, और सभी आठ बंदियों को सात-सात साल की सजा सुनाई गई, साथ कोर्ट ने सभी पर 48-48 हजार रूपये अर्थदंड लगाया है।