आज से पूरे देश में पुराने कानून खत्म होकर तीन नए कानून लागू हो गए हैं। इन नए कानूनों के बारे में जानकारी देने के लिए जालौन के जिला जज शिवकुमार द्वितीय, जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय और पुलिस अधीक्षक डॉक्टर ईरज राजा ने उरई कोतवाली में एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें अधिवक्ताओं के साथ-साथ जागरूक लोगों को कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जिसको वह अमल में ला सकें।
बता दे कि केंद्र की मोदी सरकार ने 25 दिसंबर 2023 को भारतीय दंड संहिता (IPC) को समाप्त कर भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम कानून बना दिया था, साथ ही इन कानून को 1 जुलाई 2024 से लागू करने की बात कही है। आज से यह सभी कानून लागू हो गए।
इन कानून के लागू होने के साथ ही जालौन के जिला जज, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने उरई कोतवाली में कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें सभी लोगों को इन तीन नए कानून के बारे में जानकारी दी। जिला जज शिवकुमार द्वितीय ने बताया कि इन तीन नए कानून को लोगों को बताने के उनकी विधिक टीम द्वारा गांव गांव जाकर विधिक साक्षरता शिविर लगाएगी, जिससे इस कानून के बारे में जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा कि अब पुराने कानून खत्म हो गए हैं और नए कानून लागू हो गए हैं, जिसमें धाराएं परिवर्तित हुई हैं, इसीलिए लोगों को जागरूक करने के लिए विधिक साक्षरता शिविर लगाया जाएगा।
वहीं जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि समय के साथ कानून में बदलाव होना जरूरी है, पहले के कानून में न्याय प्रणाली में कई समस्याएं आ रही थी, अब नए कानून से पब्लिक को जल्द से जल्द न्याय मिलेगा और उनकी सुरक्षा भी रहेगी।
वही पुलिस अधीक्षक डॉक्टर ईरज राजा ने बताया के 1860 आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक संशोधन संहिता और एविडेंस एक्ट को अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से जाना जाएगा। इन तीन नए कानून में सीआरपीसी में 484 धाराएं थी, अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं,
यह कानून जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अब जीरो FIR हो गई है, पहले घटना किसी अन्य जगह होती थी, तो उसी जगह फिर लिखानी पड़ती थी, मगर अब FIR कहीं पर भी लिखा सकते हैं, इसके अलावा अगर किसी की गिरफ्तारी की जाती है, तो उसकी सूचना उसके रिश्तेदार और घर के लोगों को देनी पड़ेगी, साथ ही मजिस्ट्रेट को भी अवगत कराना पड़ेगा, इसके अलावा 156 (3) के तहत होने वाली FIR में भी परिवर्तन किया गया है, अब बिना दूसरे व्यक्ति को सूचना दिए FIR नहीं हो सकती है,
उन्होंने कहा कि समय-समय पर कानून में संशोधन होना जरूरी है, वही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को भी अब साक्ष्य मान लिया गया है, इसके अलावा पांच या अधिक लोगों की भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या की जाती है, तो उस भीड़ के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या उम्र कैद की सजा एवं जुर्माना हो सकता है। यदि भीड़ द्वारा व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो प्रत्येक सदस्य को 7 साल तक की सजा और जुर्माना भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत दी जाएगी।
इस दौरान एमएलसी रमा आरपी निरंजन जिला बार संघ अध्यक्ष के द्वारा भी इन नए कानून के बारे में कार्यशाला में उपस्थित लोगों को जानकारी दी। इस दौरान अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी, क्षेत्राधिकारी गिरजा शंकर त्रिपाठी, उरई कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अजय ब्रह्म तिवारी, महिला परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी पूनम यादव मौजूद रही।